गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
किधर गई बातें / अशोक चक्रधर
16 bytes added
,
04:19, 28 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=अशोक चक्रधर
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
चलती रहीं
चलती रहीं
चलती रहीं बातें
यहाँ की, वहाँ की
इधर की, उधर की
इसकी, उसकी
जने किस-किस की,
कि
एकएक
सिर्फ़ उसकी आँखों को देखा मैंने
उसने देखा मेरा देखना ।
और... तो फिर...
किधर गईं बातें,
कहाँ गईं बातें ?
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits