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तेली कौ ब्याह / काका हाथरसी

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|रचनाकार=काका हाथरसी
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[[Category:हास्य रस]]
<poem>भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल <br>गली-गली फेरी करै, 'तेल लेऊ जी तेल' <br>'तेल लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोली <br>बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली <br><br>कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ एक साल तक तेली नहीं गाँव में आयो
कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ <br>एक साल तक तेली नहीं गाँव में आयो <br><br> मिल्यौ अचानक एक दिन, मरियल बा की चाल <br>काया ढीली पिलपिली, पिचके दोऊ गाल <br>पिचके दोऊ गाल, गैल में धक्का खावै <br>'तेल लेऊ जी तेल', बकरिया सौ मिमियावै <br>पूछी हमने जे कहा हाल है गयौ तेरौ <br>भोलू बोलो, काका ब्याह है गयौ मेरौ <br><br/poem>
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