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प्रेम में अंधी लड़की / अंजना संधीर
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04:49, 31 अक्टूबर 2009
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टैगोर की कविता दे कर
उसने चिन्हित किया था शब्दों को
रोज रंगीन दुनिया में घुमाऐगा
हो गई प्रेम में अंधी लड़की!
प्रेम में अंधी लड़की ने
कैंची भी होती है
पर कतरने की।
अब रोज़ माली उसके पर
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