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यूटोपिया / नीलेश रघुवंशी

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|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<Poempoem>उसने अपनी जेब में
इतने अहंकार से हाथ डाला कि
उस पल मुझे लगा
काश! किसी के पास जेब न होती
तो कितना अछ्छा अच्छा होता
आख़िर क्यों हो किसी के पास जेब?
मैं एक यूटोपिया में प्रवेश करने जा रही हू`ंहूँबंजारा खानबदोश जिप्सी ज़िप्सी नो मेंस लैण्ड
कुछ भी कह लो मुझे
अपने इस यूटोपिया में
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