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ऊसर (कविता) / अजित कुमार

25 bytes added, 15:30, 1 नवम्बर 2009
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|रचनाकार=अजित कुमार
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'चलो, बाबा, चलते हैं मेले में।'
सुनकर अगर मैं न हँस पड़ता,
भला और क्या करता!
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