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प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो ।
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समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥
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एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।
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अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥
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Pratishtha
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