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अच्छा लगा / कुंवर नारायण
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10:16, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार = कुंवर नारायण
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पार्क में बैठा रहा कुछ देर तक
अच्छा लगा,
पेड़ की छाया का सुख
अच्छा लगा,
डाल से पत्ता गिरा- पत्ते का मन,
''
"
अब चलूँ
''
"
सोचा,
तो यह अच्छा लगा...
</poem>
अनिल जनविजय
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