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राम सेवक / अनवर ईरज
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|रचनाकार=अनवर ईरज
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<poem>
यक़ीन जानो
तुम
राम सेवक नहीं थे जब
तो ऐसे नहीं थे
राम सेवा तो नफ़रत
बढ़ाती नहीं
राम सेवा तो हत्या
कराती नहीं
राम सेवा
दरिंदा बनाती नहीं
तेरा
राम सेवक का दावा
बहुत खोखला है
ओ
रावण के सैनिक
मुखौटा हटाओ
ज़माने को अपना मकरूह
चेहरा दिखाओ
</poem>
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