मध्यकाल में भक्ति भावना की अभिव्यक्ति के लिए पद शैली का प्रयोग हुआ। [[सूरदास]] का समस्त काव्य-व्यक्तित्व पद शैली से ही निर्मित है। "सूरसागर" का सम्पूर्ण कवित्वपूर्ण और सजीव भाग पदों में है।
परमानन्ददास, नन्ददास, कृष्णदास, [[मीराबाई]], [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्रभारतेंदु हरिश्चंद्र]] आदि के पदों में सूर की मार्मिकता मिलती है। [[तुलसीदास]] जी ने भी अपनी कूछ रचनाएँ पदशैली में की हैं। वर्तमान में पदशैली का प्रचलन नहीं के चरावर है परन्तु सामान्य जनता और सुशिक्षित जनों में सामान्य रूप से इनका प्रचार और आकर्षण है।<br><br>
'''कविता कोश में [http://hi.literature.wikia.com/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%80:%E0%A4%AA%E0%A4%A6 पद]'''<br><br>
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