Changes

शब्द / अनूप सेठी

14 bytes added, 16:38, 4 नवम्बर 2009
{{KKRachna
| रचनाकार= अनूप सेठी
}} {{KKCatKavita}}<poem> 
शब्द छू कर लौट जाते हैं
त्वचा का स्पर्श लिए
सिरहन रोमांच रत्ती भर नहीं
छुवन की अगन भर बालते हैं शब्द
 
आत्मा के कुंभ में गोता लगाने को उद्धत
अक्षर-अक्षर डूबते
सूखी लकड़ी-से तैर आते हैं
 
जिंदगानी के अपने हैं हाल बदलहाल
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits