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वर्षा / अब्दुर्रहमान
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17:10, 4 नवम्बर 2009
सलिलेहिं वर शालूरेंहि परसेउ रसेउ स्वरे।
कल कल किउ कल कंठहिं चढि आमहि शिखरे॥
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