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तपन न होती / अभिज्ञात
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17:20, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अभिज्ञात
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{{KKCatKavita}}
<poem>स्मृतियों के हलाहल को
आँखों के खारे पानी से
काश कि गीत नहीं लिखता मैं
तुम अपना दामन धर देते
अर्थी ये बिन कफन न होती!
</poem>
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