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तुमसे / अभिज्ञात
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|रचनाकार=अभिज्ञात
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{{KKCatKavita}}
<poem>(पिता की ओर से बेटी के लिए)
मैं देखना चाहता हूँ तुम्हारी आँखों से वह दुनिया एक बार फिर
पहुँच जाओगी उन सभी जगहों पर जहाँ मैंने
अपना बचपन खोया है और जिसे खोजना तुम्हें भी अच्छा लगेगा।
</poem>
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