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सधे पलड़ों के तराज़ू / अमरनाथ श्रीवास्तव
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18:25, 4 नवम्बर 2009
वाम ठहरे सधे बाज़ू
दांव पर सब कुछ लगा है देखने में कुछ नहीं है।
हर तरफ़ आंखें गड़ी हैं
हर तरफ़ आंखें गड़ी हैं
ढूंढती मुस्कान मेरी
लाल कालीनें बिछाते
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