|संग्रह = अपनी केवल धार / अरुण कमल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
सरकारी रिपोर्ट थी...
गोली चलने से सिर्फ़ एक मौत,
वो भी हास्पिटल में
तीन दिन बाद,
पाँच हज़ार मुआवजा
भूल-चूक लेनी-देनी माफ़ !
कल रात मछुआरों ने डाला था जाल--
आज मछली नहीं, निकली तीन लाशें ।
</poem>