|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है
चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है
मगर वो शख्स शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती है
बढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैं ?
कुएं कुएँ में छुप के क्यों आखिर आख़िर ये नेकी बैठ जाती है ?
नक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता है
वो दुश्मन ही सही आवाज़ दे उसको मोहब्बत से
सलीक़े से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है
</poem>