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एक खिड़की खुली है अभी / नरेन्द्र मोहन
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|रचनाकार=नरेन्द्र मोहन
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Poem
poem
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एक ही राह पर चलते चले जाने और
हर आंधी से ख़ुद्को बचाते रहनेकी आदत ने
अंधेरी हवेली में
एक खिड़की खुली है अभी ।
</poem>
अनिल जनविजय
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