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मेरा काबुलीवाला / अरुणा राय

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|रचनाकार=अरुणा राय
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<poem>
वो
जो इक
छोटी सी बच्ची है
जिसकी निगाहें
मेरी आत्मा के
हरे चिकने पात पर
गिरती रहती हैं अनवरत
बूंदों की तरह
वो ही
मेरी छोटी सी बच्ची
अपनी सितारों सी टिमकती आँखें
मेरी आँखों में डाल
मचलती-सी बोलती है
कितने अच्छे हो आप
वो <br>मैं जो इक <br>और अच्छा ? छोटी (मेरी तोते सी बच्ची है<br>लाल नाक पकड़ जिसकी निगाहें<br>हिलाता...) मेरी आत्मा के <br>अच्छे की बच्ची हरे चिकने पात पर<br>कुछ बड़ी हो जा गिरती रहती हैं अनवरत<br>तो तू उससे भी अच्छी हो जावेगी बूंदों की तरह<br>और... और सच्ची वो ही <br>और... और नेक मेरी छोटी सी बच्ची<br>ला दे अपना हाथ अपनी सितारों सी टिमकती आँखें<br>क्या मेरी आँखों में डाल<br>आज नही करेगी मचलती-सी बोलती है<br>कितने अच्छे हो आप<br>हैंडशेक...
मैं <br>और अच्छा ? <br>(मेरी तोते सी लाल नाक पकड़<br>हिलाता...) <br>अच्छे की बच्ची<br>कुछ बड़ी हो जा<br>तो तू उससे भी अच्छी हो जावेगी<br>और... और सच्ची<br>और... और नेक<br>ला दे अपना हाथ<br>क्या <br>आज नही करेगी <br>हैंडशेक... <br> '''(ये मेरे काबुलीवाले के लिए कि जिसका वादा है एक रोज़ आने का...)''' <br/poem>
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