|रचनाकार=अरुणा राय
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उसकी निगाहें
उसके चेहरे पर खिची
स्मित-मुस्कान
उसकी चंचलता
मुझे
स्थिर कर रही थी
उसकी निगाहें<br>मेरी आँखें उसके चेहरे पर खिची<br>झुकी जा रही थीं स्मित-मुस्कान<br>और मेरा हृदय उसकी चंचलता<br>खोल रहा था मुझे <br>स्थिर कर रही थी<br><br>ख़ुद को...
मेरी आँखें<br>झुकी जा रही थीं<br>और मेरा हृदय<br>खोल रहा था <br>ख़ुद को... <br><br> मेरी चुप्पी<br>बज रही थी<br>उसके भीतर<br>जिसके शोर में<br>ढूंढ रहा था वह<br>
धड़कनों को अपनी।
</poem>