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|रचनाकार=शैलेन्द्र चौहान|संग्रह=ईश्वर की चौखट पर / शैलेन्द्र चौहान
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स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया
की बनी स्टील की
भारी चादरें
टिस्को की बनी
और
आयातित चादरें
::प्रौद्योगिकी, भवन निर्माण,
::आधुनिक तकनीक
::संतुष्ट हैं बहुत
::विज्ञन की प्रगति से
::मध्यवर्गीय जन
::रोज़गार की है गारन्टी
::समझौतापरस्त
::अवसरवादियों को
::कारख़ाने के श्रमिकों को,
::यूनियन के दम पर
::हैं सुविधाएँ
::आनंदित हैं चतुर बुद्धिजीवी
::राजनीति, विज्ञान और
::कला के व्यवसाय से
::समाज का ढाँचा खड़ा हो गया है
::आर सी सी फाउंडेशन पर
::अनेक परीक्षणों के बाद
आश्वस्त हैं आधुनिक जन
अपने सुरक्षित भविष्य
और सुविधाजनक
वर्तमान के प्रति
::कोई अचंभा नहीं
::बरसात और तूफान में
::गिरते कच्चे मकानों से
::आश्चर्यजनक नहीं
::झुग्गी-झोपड़ियों का
::स्वाहा हो जाना गर्मियों में
::है बहुत सामान्य
::सर्दियों में मर जाना
::फूटने से नकसीर
::वस्त्रहीन मनुष्यों का
है सहज क्रंदन
अव्यवहारिक, सरल,
संवेदनशील मनुष्यों का
::शरीर के अनावश्यक
::अवयवों का
::नहीं होता कोई महत्व
::नष्ट भी हो जाएँ
::यदि वे
सुंदर नहीं दिखेगा
क्षत-विक्षत यह शरीर
जो हो चुके हैं
विकृतियों को
सुंदर कहने के आदी
उनके लिए बेजायका है
शरीर का संपुष्ट
सुगठित और सुंदर होना
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