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भूत आया / अवतार एनगिल

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|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जब मैं बच्चा था
श्मशान शहर से बाहर हुआ करता था
मैं भूत-चुड़ैल से बहुत डरता था
बरगद का भूत
अपना-सा मुंह लेकर
 
अब श्मशान शहर के अन्दर है
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