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जंगल बोला / अवतार एनगिल
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06:26, 7 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा
/ अवतार एनगिल; तीन डग कविता
/ अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>मैंने जंगल से कहा__
मेरी बगिया से बाहर लगा जंगला
तुम्हारी लक्ष्मण रेखा है
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