Changes

ब्रह्म पुत्र / अवतार एनगिल

18 bytes added, 12:58, 7 नवम्बर 2009
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मेरी इच्छाएं मेरी कन्याएं हैं
मेरी कन्याएं मेरी इच्छाएं हैं
पुत्रहीन पिता
प्रलय और सर्वनाश के भय से तीनों लोक शिव की प्रार्थना और स्तुति करने लगे। भोलेनाथ माने तो पता चला कि भगदड़ में दक्ष का सर गुम हो चुका था, बाकी सब को तो उन्होंने जीवन लौटा दिया, परंतु दक्ष के धड़ पर उन्हें बकरे का सर लगाना पड़ा।
प्रस्तुत कविता दक्ष के दुःख को --क्योंकि उसकी पुत्रियां थीं---प्रस्तुत करती है। कहते हैं अगले जन्म में तपस्या के कारण दक्ष के सात पुत्र हुए।</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits