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04:20, 8 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>चौओं को देखते रहने का काम
उन दो चरवाहों को सौंपा
जो घर से खा पी कर आए थे
गौरू पसंद की जगह बैठ गए, कोई
रौंथने लगा, कोई अधलेटा रहा, दो एक
चिड़ियाँ उनपर जमे कीड़े काढ़ने लगीं,
चिड़ियों और जानवरों का यह सहयोग
सामान्य है।
पालतू पशु सतवारे अठवारे पर
नहलाए जाते हैं जिस से इन सब को
स्वस्थ रखा जा सके।
एक पाड़ा दाएँ-बाएँ करवट ले रहा
था। आहट कम हो, चिडियाँ लगन से कीड़े
किलनी चुन रही थी। चिडियों, चौपायों का
विश्वास भरा एक दूसरे का सहयोग
कहीं और कभी देखने को मिल सकता है।
3.10.2009</poem>