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मिलो दोस्त, जल्दी मिलो / अवधेश कुमार
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|संग्रह=जिप्सी लड़की / अवधेश कुमार
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<Poem>
सुबह--एक हल्की-सी चीख़ की तरह
मैं ग़रीब, तुम ग़रीब
पर हमारे इरादे ग़रम ।
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