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मुक्ति का उल्लास ही / अश्वघोष
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{{KKRachna
|रचनाकार=अश्वघोष
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{{KKCatNavgeet
}}<poem>मुक्ति का उल्लास ही
हर ओर छाया
प्यार के इस लोक को किसने बनाया?
हार में भी जीत का आनंद आया
प्यार के इस लोक को किसने बनाया?
</poem>
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