|रचनाकार=असद ज़ैदी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''एक'''
सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था
ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग
अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता
मर खप जाता है
'''एक'''<br>
सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था<br>
ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग<br>
अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता<br>
मर खप जाता है<br><br>
'''दो'''
</poem>