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संस्कार / असद ज़ैदी

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|संग्रह=बहनें और अन्य कविताएँ / असद ज़ैदी
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बीच के किसी स्टेशन पर
 
दोने में पूड़ी-साग खाते हुए
 
आप छिपाते हैं अपना रोना
 
जो अचानक शुरू होने लगता है
 
पेट की मरोड़ की तरह
 
और फिर छिपाकर फेंक देते हैं कहीं कोने में
 
अपना दोना ।
 
सोचते हैं : मुझे एक स्त्री ने जन्म दिया था
 
मैं यों ही दरवाज़े से निकलकर नहीं चला आया था ।
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