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मौखिक इतिहास / असद ज़ैदी

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|संग्रह=सामान की तलाश / असद ज़ैदी
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कुछ होना था सत्तर के दशक में जो नहीं हुआ
 
अस्सी के दशक में चलने लगीं उल्टी - सीधी हवाएं
 
और नब्बे के दशक में जो नहीं होना था हो ही गया
 
इस तरह सदी के ख़त्म होने से पहले ही
 
रुख़सत हो चली एक पूरी सदी
 
अब यह सब अध्ययन की वस्तु है
 
और चूंकि हम बीसवीं सदी के कुछ प्रतिनिधि नमूने हैं
 
तो गैलैक्सी चैनल की मौखिक इतिहास परियोजना के तहत
 
एक प्रश्नावली और एक माइक लेकर आ रहे हैं
 
इक्कीसवीं सदी के ये शोधकर्ता जिन्हें
 
इक्कीसवीं का अलिफ़ और सदी का ये पता नहीं
 
ये हमसे क्या पूछ सकेंगे
 
इन्हें हम क्या समझा सकेंगे!
 
सिवा इसके कि मैं साफ़ हज़ामत बनाकर
 
ज़रा तनकर कुर्सी पर बैठूं
 
और मेरी बीवी भी इस मौक़े पर
 
बालों में कंघी कर ले.
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