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[[Category:ग़ज़ल]]
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लबों पे नर्म तबस्सुम रचा कि धुल जाएँ
ख़ुदा करे मेरे आंसू किसी के काम आएँ
लबों पे नर्म तबस्सुम रचा कि धुल जाएँ<BR>जो इब्तदा-ए-सफ़र में दिए बुझा बैठेख़ुदा करे मेरे आंसू वो बदनसीब किसी के काम आएँ<BR><BR>का सुराग़ क्या पाएँ
जो इब्तदातलाश-ए-सफ़र में दिए बुझा बैठे<BR>हुस्न कहाँ ले चली ख़ुदा जानेवो बदनसीब किसी का सुराग़ क्या पाएँ<BR><BR>उमंग थी कि फ़क़त जि़न्दगी को अपनाएँ
तलाशबुला रहे है उफ़क़ पर जो ज़र्द-ए-हुस्न कहाँ ले चली ख़ुदा जाने<BR>रू टीलेउमंग थी कि फ़क़त जि़न्दगी को अपनाएँ<BR><BR>कहो तो हम भी फ़साने के राज़ हो जाएँ
बुला रहे है उफ़क़ पर जो ज़र्दन कर ख़ुदा के लिए बार-रू टीले<BR>बार जि़क्र-ए-बहिश्तकहो तो हम भी फ़साने के राज़ हो जाएँ<BR><BR>आस्माँ का मुकरर्र फ़रेब क्यों खाएँ
न कर ख़ुदा के लिए बार-बार जि़क्र-ए-बहिश्त<BR>हम आस्माँ का मुकरर्र फ़रेब क्यों खाएँ<BR><BR> तमाम मयकदा सुनसान मयगुसार उदास<BR>लबों को खोल कर कुछ सोचती हैं मीनाएँ<BR><BR/poem>
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