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लहटोरा / त्रिलोचन

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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>नई पत्तियाँ आईं लहटोरे में, देखो
मंजरियाँ भी, अब किसान के मोंडा-मोंडी
मंजरियों को तोडेंगे जिस से भाजी का
काम चले आज का। शेष हैं जो मंजरियाँ
फूल जाएँगी, इन फूलों से फल निकलेंगे
फल पक पक कर गिरा करेंगे, जिन्हे रात में
बीन बीन कर जंबुक अपने पेट भरेंगे,
किस किस को अपनाता है यह तरु लहटोरा।</poem>
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