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भिक्षु / अवतार एनगिल
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|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>अपने कमण्डल को उल्टा कर
भिक्षु ने अपने सर पर डाल लिया
जाड़े की किटकिटाती रात में
तो उसके गेरुआ वस्त्रों ने
आग पकड़ ली.
---सपना</poem>
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