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02:38, 9 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>लो होशंगाबाद...जाम फल लेना चखना
स्वाद सुगंधित और माखनी, ज़्यादा रखना
घर के लिए, 'और कितना दूँ' फेरीवाला
कहता है, 'अमरूद इलाहाबादी लाला
कहीं न पाओगे, पैसा दो और माल लो,
ढीलापन मत करो, साँस से उसे टाल दो।
गाड़ी सीटी दे कर आगे बढ़ी। जाम फल
मिट्टी से प्रभाव लेता है, सत्य है अटल।
3.11.2002</poem>