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लोग पूछेंगे / इब्ने इंशा

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लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम
 
और जो दिल में आए सो कहियो
 
"यूँ ही माहौल की गिरानी है
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
कितने बोझिल हैं शाम के साए"
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
"कितने बोझिल हैं शाम के साए
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
यूँ ही माहौल की गिरानी है"
 
और जो दिल में आए सो कहियो
 
लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम ?
 
(रचनाकाल : 1948)
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