|संग्रह= कार्तिक का पहला गुलाब / इला कुमार
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जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग
नदी की धार अर्ध आलोकित
क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है
मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट
रस घोल जाती है
वन प्रान्तर के अदेखे लोक में
ममत्व की
अनवरतता
दिग्दिगांतर आप्लावित
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