Changes

|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं।
अब तक वो चारासाज़िए-चश्मेकरम है याद।
फाहा वहाँ लगाते थे, चरका जहाँ न था॥
 
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits