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जाड़े के बर्फ़ीले दिन / आलोक श्रीवास्तव-१
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|संग्रह=आमीन / आलोक श्रीवास्तव-१
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जाड़े के बर्फ़ीले दिन,
लाल गुलाबी पीले दिन।
स्वेटर, मफ़लर, कनटोपे,
पहन के निकले गीले दिन।
लम्बी-लम्बी कीलें रात
छोटे और नुकीले दिन।
फ़ाग के मोज़ों से निकले,
नंगे पाँव हठीले दिन।
नाक पे आकर बैठ गए,
पाजी सर्द चुटीले दिन।
रख दीजे संदूकों में,
गर्मी वाले ढीले दिन।
</poem>
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