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|संग्रह=यह धरती हमारा ही स्वप्न है / आलोक श्रीवास्तव-२
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सरयू-तट के जनपदों से लेकर
7.11.2002
 
उपरोक्त कवित में हिन्दी के अनेक प्रमुख कवियों की काव्य-पंक्तियाँ इस्तेमाल हुई हैं। उनके प्रति कृतज्ञ है कवि।
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