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02:31, 10 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>महावत करीम नें कहा-हुजूर कैंत पक जायँ। दो महीने
बाद पके कैंत मिलेंगे। लीद में कैंत ज्यौं का त्यौं रहेगा।
उसके अंदर का गूदा गायब हो जाता है। खोखला कैंत
रह जाता है।
एसे ही जो लोग इन की उन की बातें कर के
चुप हो जाते हैं, या बोलते ही नहीं, उनके लिये कहा
जाता है कि गजभुक्त कपित्थवत हैं।
5.11.2002</poem>