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लहसुन गाँठ कपूर के नीर में / गँग
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16:30, 10 नवम्बर 2009
मोगरे माहिं लपेटि धरी 'गंग बास सुबास न आव न आई।
ऐसेहि नीच को ऊँच की संगति, कोटि करौ पै कुटेव न जाई॥
रती बिन राज, रती बिन पाट, रती बिन छत्र नहीं इक टीको।
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अजय यादव
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