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|रचनाकार= उदय प्रकाश
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एक सफ़ेद बादल
 
उतर आया है नीचे
 
सड़क पर
 
अपने सींग पर टांगे हुए आकाश
 
पृथ्वी को अपने खुरों के नीचे दबाए अपने वजन भर
 
आंधी में उड़ जाने से उसे बचाते हुए
 
बौछारें उसके सींगों को छूने के लिए
 
दौड़ती हैं एक के बाद एक
 
हवा में लहरें बनाती हुईं
 
मेरा छाता
 
धरती को पानी में घुल जाने से
 
बचाने के लिए हवा में फड़फड़ाता है
 
बैल को मैं अपने छाते के नीचे ले आना चाहता हूं
 
आकाश , पृथ्वी और उसे भीगने से बचाने के लिए
 
लेकिन शायद
 
कुछ छोटा है यह छाता ।
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