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घोड़े की सवारी / उदय प्रकाश

4 bytes removed, 18:10, 10 नवम्बर 2009
|संग्रह= अबूतर कबूतर / उदय प्रकाश
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लड़का उसे बड़ी देर से
 
घोड़ा कहकर
 
उसकी टाँगों पर
 
चढ़ रहा था ।
 
वह लेटा हुआ था पीठ के बल ।
 
बायें घुटने पर
 
दायीं टाँग थी
 
जो लड़के लिए घोड़े की
 
पीठ थी ।
 
उसके पैर के अँगूठे को लड़का
 
घोड़े के कान की तरह
 
ऎंठ रहा था ।
 
उसने टाँगें हिलाईं धीरे से कि
 
लड़का गिरे नहीं
 
'चला घोड़ा, चला' लड़के ने
 
ताली पीटी और जीभ से
 
चख-चख की आवाज़ निकाली ।
 
उसके सिर में दर्द था सुबह से ही
 
वह सोना चाहता था तुरत
 
लेकिन लड़के ने घंटे भर से उसे
 
घोड़ा बना रखा था
 
अचानक लड़का गिरा फ़र्श पर
 
उसका माथा दीवार से टकराज़ा
 
उसे लगा, लड़के को
 
चोट ज़रूर आई होगी
 
 
उसने वापस आदमी होने की
 
कोशिश की और
 
उठकर बैठ गया '
 
वह लड़के को चुप कराना
 
चाहता था '
 
लेकिन उसके गले में से
 
थके हुए घोड़े की
 
हिनहिनाहट निकली सिर्फ़ !
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