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खेल / उदय प्रकाश
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18:15, 10 नवम्बर 2009
|रचनाकार=उदयप्रकाश
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<poem>
जो लड़का
सिपाही बना था
उससे दूसरे लड़के ने
अकड़कर कहा--
'अबे राजा की पूँछ के बाल
मैं चोर नहीं हूँ'
और खेल
बिगड़ गया ।
</poem>
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