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बारिश-2 / परवीन शाकिर

248 bytes added, 12:44, 13 नवम्बर 2009
कैसी-कैसी विनती की थी
प्यारी धीरे-धीरे बोल
भरा घर जाग उठेगा लेकिन जब उसके आने की घड़ी हुईसुबह से ऐसी झड़ी लगी उम्र में पहली बार मुझे बारिश अच्छी नहीं लगी
</poem>
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