गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र
404 bytes added
,
16:23, 14 नवम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} <poem> अहो प्रभु अपनी ओर निहा…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
}}
<poem>
अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ।
करिकै सुरति अजामिल गज की, हमरे करम बिसारौ।
’हरीचंद’ डूबत भव-सागर, गहि कर धाइ उबारौ॥
</poem>
अजय यादव
469
edits