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हमदर्द / फ़राज़

5 bytes added, 14:45, 15 नवम्बर 2009
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<poem>
 
 
ऐ दिल उन आँखों पर न जा
जिनमें वफ़ूरे-रंज<ref>दु:खों की बहुतायत</ref>
चाहत के काँटों की तलब
और उसके दामन में फ़क़त<ref>केवल</ref>
हमदर्दियों के फूल हैं. 
</poem>
 
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