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अस्वीकरण
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समय-4 / दुष्यन्त
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21:48, 15 नवम्बर 2009
सचमुच समय नहीं है
केवल
घड़ी की सूईयों में
कैद।
क़ैद।
'''मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा'''
</poem>
अनिल जनविजय
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