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आशा / रामधारी सिंह "दिनकर"

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मर गया होता कभी का::आपदाओं की कठिनतम मार से,यदि नहीं आशा श्रवण में::नित्य यह संदेश देती प्यार से--::"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है।::आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"।
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