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ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते / फ़राज़
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13:43, 22 नवम्बर 2009
ऐ चारागरो!<ref>वैद्यो,चिकित्सको </ref> दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते
मुंसिफ़<ref>
न्याया
धीश
न्यायाधीश
</ref> हो अगर तुम तो कब इन्साफ़ करोगे
मुजरिम<ref>अपराधी </ref> हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते
द्विजेन्द्र द्विज
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