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सिर्फ़ एक लम्हा / जया जादवानी

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{{KKRachna
|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
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<poem>
सिर्फ़ एक लम्हा फूँकना
तुम मेरी साँस में साँस
मुझे जीवित कर देना
सिर्फ़ एक लम्हा
निहारना मेरी तरफ़
मुझमें पंख उगा देना
सिर्फ़ एक लम्हा
तुम मुझे देना शब्द एक
मुझे कालजयी बना देना
सिर्फ़ एक लम्हा धुन-सा
तुम मेई देह की
खाली बाँसुरी में उतरना
सातों राग भर देना
सिर्फ़ एक लम्हा ही जीकर
सदियों जीने से मुक्त हो पाऊँगी
सिर्फ़ एक लम्हे के लिए
मैं फिर-फिर वापस आऊँगी।
</poem>